ब्यावर शहर | Beawar City
mehboobalikathat5@gmail.com
सर्वधर्म समभाव के प्रणेता
ब्यावर के संस्थापकः कर्नल चाल्र्स जार्ज डिक्सन
जन्म 30 जून सन् 1795 में स्काटलैण्ड में
स्र्वगवास 25 जून सन् 1857 में ब्यावर में
1 फरवरी 1836 में अजमेरी गेट पर ब्यावर शहर की नींव रक्खी
मेरवाड़ा के सुपरिन्टेण्डेन्ट 1836 से 1842 तक
ब्यावर के संस्थापक
कर्नल चाल्र्स जार्ज डिक्सन
1795 - 1857
रचनाकारः MEHBOOB ALI KATH
कर्नल चार्ल्स जार्ज डिक्सन का जन्म ग्रेटब्रिटेन के स्काटलैंण्ड देश में 30 जून सन् 1795 ई. को हुआ था। आप 17 साल की उम्र में हिन्दुस्तान में आये। आप भी कर्नल जेम्स टाड व कर्नल हैनरी हाॅल की भाॅंति बॅंगाल आर्टिलरी रेजीमेण्ट के फौजी अधिकारी थे। छ साल तक कलकत्ता में रहने के पश्चात् आप नसीराबाद छावनी आये जहाॅं आप तीन साल तक रहे। तत्पश्चात् आपको अजमेर में मैगजीन का प्रभारी बना दिया जहाँ आप 14 साल तक रहे।
40 साल की उम्र में ब्यावर की फौजी छावनी के सदर कर्नल हैनरी हाॅल के इस्तीफा देने पर आपको उनके स्थान पर ब्यावर फौजी छावनी के सुपरिन्टेण्डेण्ट के पद पर नियुक्त किया गया।
मेम साहिबा की हवेली
ब्यावर के इतिहास से भलीभाँति स्पष्ट है कि यह प्रदेश भयानक जंगल था जहाँ पहाड़ी मेर जाति निवास करती थी। उनका मुख्य कार्य लूटपाट करना था। अरावली की छोटी बड़ी घनी घुमावदार पहाडियों के पथरीले प्रदेश के साथ साथ कहीं कहीं छोटे-बडे़ मैदानी क्षेत्र भी अवस्थित है।
अतएव कर्नल डिक्सन ने सोचा कि इस जाति को बल प्रयोग से नहीं जीता जा सकता। अपित् पे््मभाव से ही इन पर नियन्त्रण किया जाय। यह सोचकर डिक्सन ने मेर जाति की लड़की से ही, चाँदबीबी से निकाह कर लिया। बडे़ पे्रम से इस जाति के लोगों को समझाया कि लूटपाट करना अच्छा काम नहीं है। मेहनत, परिश्रम करके निर्वाह करना ही सच्ची जिन्दगी है।
यह सोचकर इस प्रदेश की पृष्ट भूमि चरागाह है, भेड़-बकरी पशु पालन का मुख्य काम इस क्षेत्र में है। अतः ब्यावर की फौजी छावनी के पथरीले जंगल को साफ कर यहाॅं पर एक नागरिक बस्ती को आबाद कर दिया जाय।
डिक्सन की मजार
अतः इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु डिक्सन ने अपने अधिकारी से इस कार्य को मूर्तरूप देने हेतु, अनुमति प्राप्त कर, अपनी फौज से जंगल साफ कराकर उबड़-खाबड़ जमीन को समतल कराकर 10 जुलाई सन् 1835 ई. को गजट में नागरीक बस्ती के निर्माण करने की अधिसूचना जारी की। इस आशय की एक एक प्रतिलिपि इस क्षेत्र के आस पास के मारवाड़, मेवाड़, ढूँढार, शेखावटी के तमाम गाँवों को भिजवा दी। परिणामत् 1 फरवरी सन् 1836 को अजमेरी गेट पर डिक्सन ने केकड़ी, देवली के पण्डित शिवलाल श्रीलाल से हिन्दू सनातन विधि से प्रातः 10 बजे ब्यावर नगर की नींव रक्खी अर्थात् पूजन के साथ नींव का पत्थर रक्खा। इस प्रकार ब्यावर नगर का निर्माण हुआ।
डिक्सन सर्वधर्म समभाव के मूर्तरूप थे उन्होनें कभी भी अपनी प्रजा में किसी भी व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं किया। आपने 22 साल तक मेरवाड़ा पर हुकुमत की। सन् 1836-1842 तक मेरवाड़ा सुपरिन्टेन्डेन्ट रहे। 1842-1852 तक मेरवाड़ा और अजमेर के संयुक्त सुपरिन्टेन्डेण्ट रहे और 1852-1857 की 25 जून मृत्यु पर्यन्त तक मेरवाड़ा और अजमेर दोनों क्षेत्रों के संयुक्त सुपरिन्टेन्डेण्ट व कमिश्नर के रूप में कार्य किया।
चाँद बीबी का मकबरा
उनके शासन में प्रजा बहुत खुश थी ओर अपने राजा केा तह दिल से चाहती थी। राजा भी अपनी प्रजा के सुख-दुख का पूरा ख्याल रखते थे।
उन्होंने अपने शासन काल में नागरिकों की सुरक्षा हेतु ब्यावर नगर को क्रोस की आकृति प्रदान कर चार बडे़ 32 फीट ऊँचे कलात्मक चारों दिशाओं में दरवाजों का मय 32 बुर्जियों के व एक सुन्दर 21 फीट ऊॅंची, 6 फीट चैडी, यानी मोटी और 10569 फीट लम्बी मजबूत, सुन्दर, कलात्मक कॅंगूरेदार रक्षण दीवार इन दरवाजों और बुर्जियों को जोड़ती हुई बनाई। इस कार्य में पीली मिट्टी और मोटे पत्थर काम में लाये तथा लिपाई यानी प्लास्टर चूने से करवाया। चाहर दीवारी के भीतर क्रोस की पट्टियोें को जोड़ते मध्य भाग में चैपाटी से उसी आकृति के माप के अनुरूप चारों दिशाओं में चार 70 फिट चैड़ी सड़क बनाकर उसके दोनों और लगभग 500 दुकानों के साथ चार मुख्य बाजार बनाये। इन बाजार में मुख्य चैपाटी से चारों दिशाओं में बाजारों में 10 चैपाटी बनाकर अजमेरी गेट के दाहिनी और से चार दीवारी के भीतर लगभग छ सो आयताकार प्लाटों यानी नोहरों में, 21 कालोनिया, जाति के आधार पर यानी मोहल्लों का निर्माण कराया।
प्रत्येक आयताकर मोहल्ले में एक चैराहा चार सड़को को जोड़ता हुआ बनाया जिसे बाजार के चैराहे से जोड़ा। इस प्रकार इक्कीस जातियों के 1158 परिवारों को इन मोहल्लों में पट्टे देकर बसाया। इस प्रकार 32 चैराहों, 128 सड़क व 600 नोहरों के साथ ब्यावर नगर के चारमुख्य बाजारों में 500 दुकानों के साथ ब्यावर नगर के व्यापार का शुभारम्भ किया। देखते देखते ब्यावर नगर राजपूताना ही नहीं अपित् भारत का ऊन, रूई कपास और सर्राफा जिन्स का एक बड़ा तिजारती केन्द्र बन गया जिसने इन व्यापार में पूरे विश्व में शोहरत हासिल की। चारों दरवाजों के अन्दर सुरक्षा हेतु चार पुलिस चैकी बनाई। पुलिस थाना और ओक्ट्रोइ इमारत बाजार के मुख्य चैराहे पर बनाई।
MEHBOOB ALI KATHAT